किसी भी व्यक्ति को अच्छे से जाने बिना, दूसरों की बातें सुनकर उसके प्रति कोई धारणा बना लेना मूर्खता है।

श्री अक्षय भट्ट
0
P - 277
DATE - 17 OCT 23



अ(caps)क्सर ऐसा देखने को मिलता है, कि हम किसी भी व्यक्ति को अच्छे से जाने बिना, दूसरों की बातें सुनकर उसके प्रति कोई धारणा बना लेते है, पर यह एक मूर्खता है। इस संसार में मौजूद हरेक वस्तु या मनुष्य के दो पहलू देखने को मिल जाते है, एक तो वो है, जिसे उसकी नकारत्मक आदतें या तरीके कह सकते है, और दूसरा वो है, जिसमे उसके कार्य सकारात्मक होते है। मानव का स्वभाव है, की किसी भी चिज में उसे सबसे पहले नकारत्मक नजरिया दिखेगा और वह उसे समाज के पटल पर रख देगा। समाज की सबसे बड़ी कमी ये हो जाती है, की वो सारे लोग सिर्फ और सिर्फ उसी पटल को सही मान कर उस व्यक्ति या वस्तु के प्रति अपनी मानसिक धारणा बना लेते है, जो किसी एक व्यक्ति का व्यक्तिगत विचार होता है। इस प्रकार कि आदतें या कार्य एक मुर्खता पूर्ण कदम होता है, जिसे हमें सुधारने कि सख्त आवश्यकता है। 

        इस कथन का और अच्छे तरीके से व्याख्या करने के लिए मैने आप लोगो के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत करना चाहूंगा, आप लोगो ने साक्षात्कार के बारे में जरूर सुना होगा, यह आमतौर पर किसी नौकरी या अन्य पदों पर नियुक्तियों के समय उम्मीदवारों के चयन के लिए यह पद्धति अपनाई जाती है, जिसमे कुछ दो चार व्यक्ति किस एक व्यक्ति का बातचीत और मनोवैज्ञानिक तर्क के द्वारा उसको काबिलियत की पहचान कि पहचान करके उसका चयन करते है। मेरे अनुसार किसी की काबिलियत की पहचान कुछ देर में पता नही लगाया जा सकता है, कुछ तनिक प्रश्नों के द्वारा किसी की भी दक्षता का निर्धारण होना बहुत ही मुश्किल है, और यदि ऐसा किया जाता है, तो इसे सुधारने कि आवश्यकता है। चुकि इस प्रक्रिया का प्रयोग सिर्फ चयन के लिए  किया जाए तो इससे मुझे कोई आपत्ति नहीं है, मगर जब इससे पद्धति के द्वारा समाज में बुद्धिमत्ता का निर्धारण होने लगे तो यह बिल्कुल गलत हो जाता है, ऐसा करना समाज के द्वारा उठाया हुआ बेहद ही मुर्खतापूर्ण कदम होगा। 

        अगर इतिहास से संदर्भों को लिया जाए, तो कितनी महिलाएं ऐसी कारकों का शिकार बनी है, कुछेक लोगो के ऐसा कह देने से की, ये औरत डायन है, पूरा का पूरा समाज बिना सोचे समझे उसे डायन मान लेता है, कई बार तो ऐसा देखा गया है, की उस औरत के साथ बुरा व्यवहार होता है, उसे नग्न करके प्रताणित किया जाता है, उसे जिंदा जला देते है, मार डालते है, और सबसे बड़ी विडंबना तो यह है कि समाज का कोई भी व्यक्ति उस पर लगाए हुए आरोपों पे किसी प्रकार की जांच कि बात नहीं करता, बल्कि सीधे फैसला सुना दिया जाता है। यह एक मूर्खता पूर्ण कदम है, जिसे हम सभी को सुधारने कि आवश्यकता है। समाज का निर्माण एक बेहत्तर मानवता के विकास के लिए किया गया था, हमें इसके प्रयोजन को कभी नहीं भुलना चाहिए, और हमेशा इंसानियत को जिंदा रखकर समाज के उत्थान के बारे में सोचना चाहिए, और मेरे मुताबिक समाज का कोई भी काम अगर बहुमत के साथ किया जाए, तो वह सबसे बेहत्तर होगा। 

        प्रिय दोस्तों, किसी भी बात या तथ्य चाहे वो किसी के संदर्भ में क्यों न हो, कहने से पहले यह जरूर आश्वस्त हो, ले कि क्या वो व्यक्ति सच में ऐसी सोच रखता है, क्योंकि हो सकता है, अगला व्यक्ति जिसके साथ आप उसकी चर्चा कर रहे हो, वो आपके सोच से प्रभावित हो जाए, उस व्यक्ति के प्रति अपने मन में ऐसी धारणा बना लें कि वो बुरा आदमी है। तो इसलिए बिना विचारे किसी के प्रति अपना राय देना, मूर्खता है और समाने वाले जब उस धारणा को बिना विचारे स्वीकार कर लें तो यह सबसे बड़ी मुर्खता है। मेरा यह पोस्ट पढ़ कर यदि एक व्यक्ति भी अपनी सोच में तब्दीली करता है, तो मेरा यह पोस्ट लिखना सार्थक हो जाएगा। 






एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ

Thank you

एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!