इस कथन का और अच्छे तरीके से व्याख्या करने के लिए मैने आप लोगो के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत करना चाहूंगा, आप लोगो ने साक्षात्कार के बारे में जरूर सुना होगा, यह आमतौर पर किसी नौकरी या अन्य पदों पर नियुक्तियों के समय उम्मीदवारों के चयन के लिए यह पद्धति अपनाई जाती है, जिसमे कुछ दो चार व्यक्ति किस एक व्यक्ति का बातचीत और मनोवैज्ञानिक तर्क के द्वारा उसको काबिलियत की पहचान कि पहचान करके उसका चयन करते है। मेरे अनुसार किसी की काबिलियत की पहचान कुछ देर में पता नही लगाया जा सकता है, कुछ तनिक प्रश्नों के द्वारा किसी की भी दक्षता का निर्धारण होना बहुत ही मुश्किल है, और यदि ऐसा किया जाता है, तो इसे सुधारने कि आवश्यकता है। चुकि इस प्रक्रिया का प्रयोग सिर्फ चयन के लिए किया जाए तो इससे मुझे कोई आपत्ति नहीं है, मगर जब इससे पद्धति के द्वारा समाज में बुद्धिमत्ता का निर्धारण होने लगे तो यह बिल्कुल गलत हो जाता है, ऐसा करना समाज के द्वारा उठाया हुआ बेहद ही मुर्खतापूर्ण कदम होगा।
अगर इतिहास से संदर्भों को लिया जाए, तो कितनी महिलाएं ऐसी कारकों का शिकार बनी है, कुछेक लोगो के ऐसा कह देने से की, ये औरत डायन है, पूरा का पूरा समाज बिना सोचे समझे उसे डायन मान लेता है, कई बार तो ऐसा देखा गया है, की उस औरत के साथ बुरा व्यवहार होता है, उसे नग्न करके प्रताणित किया जाता है, उसे जिंदा जला देते है, मार डालते है, और सबसे बड़ी विडंबना तो यह है कि समाज का कोई भी व्यक्ति उस पर लगाए हुए आरोपों पे किसी प्रकार की जांच कि बात नहीं करता, बल्कि सीधे फैसला सुना दिया जाता है। यह एक मूर्खता पूर्ण कदम है, जिसे हम सभी को सुधारने कि आवश्यकता है। समाज का निर्माण एक बेहत्तर मानवता के विकास के लिए किया गया था, हमें इसके प्रयोजन को कभी नहीं भुलना चाहिए, और हमेशा इंसानियत को जिंदा रखकर समाज के उत्थान के बारे में सोचना चाहिए, और मेरे मुताबिक समाज का कोई भी काम अगर बहुमत के साथ किया जाए, तो वह सबसे बेहत्तर होगा।
प्रिय दोस्तों, किसी भी बात या तथ्य चाहे वो किसी के संदर्भ में क्यों न हो, कहने से पहले यह जरूर आश्वस्त हो, ले कि क्या वो व्यक्ति सच में ऐसी सोच रखता है, क्योंकि हो सकता है, अगला व्यक्ति जिसके साथ आप उसकी चर्चा कर रहे हो, वो आपके सोच से प्रभावित हो जाए, उस व्यक्ति के प्रति अपने मन में ऐसी धारणा बना लें कि वो बुरा आदमी है। तो इसलिए बिना विचारे किसी के प्रति अपना राय देना, मूर्खता है और समाने वाले जब उस धारणा को बिना विचारे स्वीकार कर लें तो यह सबसे बड़ी मुर्खता है। मेरा यह पोस्ट पढ़ कर यदि एक व्यक्ति भी अपनी सोच में तब्दीली करता है, तो मेरा यह पोस्ट लिखना सार्थक हो जाएगा।
Thank you