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DATE - 16 OCT 23
DATE - 16 OCT 23
Van de Graaff Generator कि बनावट, क्रिया तथा उपयोग।
परिचय
बनावट
चित्र में, एक गोलीय चालक S दिखलाया गया है, जो धातु का बना होता है, और वह एक कुचालक स्टैण्ड पर रखा रहता है। इसके केंद्र में एक घिरनी P1 लगा रहता है, जिसका संबंध रबड़ बेल्ट कि सहायता से एक दुसरी घिरनी P2 से लगी रहती है,जो जमीन पर स्थित रहता है। घिरनी P2 का संबंध रबड़ बेल्ट के सहायता से एक विद्युत मोटर M से रहता है। घिरनी P2 के समीप एक कार्बन ब्रुश B2 रहता है, जिसका संबंध उच्च विभव वाली बैटरी के धनात्मक ध्रुव से रहता है, बैटरी के ऋणात्मक ध्रुव का संबंध पृथ्वी से रहता है। दुसरा कार्बन ब्रुश गोलीय चालक S के समीप रहता है।
क्रिया
सबसे पहले विद्युत मोटर कि सहायता से घिरनी को घुमाया जाता है, बैटरी से धनात्मक आवेश ब्रुश B2 पर एकत्रित होता है, रबड़ बेल्ट कुचालक होने के कारण धनात्मक आवेश को नहीं रख पाता है, और हवा के स्प्रे कि सहायता से ये सारे एकत्रित धनात्मक आवेश कार्बन ब्रुश B1 पर एकत्रित हो जाते है। विद्युत चुंबकिय प्रेरण कि क्रिया के कारण गोलीय चालक S के भीतरी सिरे पर ऋण आवेश और बाहरी सिरे पर धन आवेश एकत्रित हो जाते है। जैसे जैसे धन आवेश का मान उच्च विभव वाले बैटरी से बढ़ाया जाता है, वैसे वैसे विभवांतर का मान भी बढ़ता चला जाता है।
उपयोग
इसका प्रयोग निम्न प्रकार के कार्यों में किया जाता है, जो इस प्रकार से है-
1. अल्फा कण, प्रोटॉन आदि को त्वरित कर उसकी सरंचना प्राप्त कि जाती है।
2. आधुनिक एक्स रे में
3. कैंसर जैसे घातक बिमारियों के इलाज में।
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