P-202
Date - 29 Jul 23
नींद खुलते ही सामने खड़ी थी, कहने लगी उठ जाओ, कितने देर सोना है। मेरे होठों को अपने चुटकी में भर कर मिचने लगी, गुदगुदी करने लगी। मेरे चेहरे पर एक प्यारी मुस्कान है, उसकी हरकते मुझे अच्छी लग रही थी, सोच रहा था, वो बस ऐसे ही तंग करती रहें। मेरे बालों को सहलाते हुए, आखिरकार उसने मुझे जगा ही दिया, मैंने उसका हाथ पकड़ कर, उसे अपनी तरफ खींचा।
इतना में काफी जोर से आवाज आई, आवाज काफी तीक्ष्ण थी, कानों में पड़ी, की अरे अभी तक उठा नहीं अब तक। पता लगा की अब तक जो हो रहा था, वो सपना था, और ये आवाज मां की थी।
हास्यपद है, लेकिन ये घटनाएं अक्सर नौजवानों के साथ घाट जाया करती है।
दुनिया बड़ी ही लुभावने चीज़ों से भरी पड़ी है, यथार्थ का मिल पाना बड़ा ही मुश्किल है।
उठते ही पता चला वाकई में 9 बज चुके है, दफ्तर के लिए देर हो चुकी थी, मैं फटाफट निकला और जल्दी से अपने सारे रोजमर्रा के कामों को निपटाते हुए, जल्द जल्दी तैयार हुआ, दफ्तर के लिए निकला। देर से जगना अब मेरे प्राथमिक दिनचर्या में शामिल सा हो गया था, क्योंकि बिना उस से बात किए नींद ही कहां आने वाले है।
उसके घर पर हजार बंदिशें होती मगर बावजूद उसके है देर तक बात कर लिया ही करते।
आप सही सोच रहे है, ये वहीं है, जो सुबह के समय सपने में मुझे जगाने आया थी, लेकिन पता लगा वो तो मेरे उठने के बाद उठी है, असमंजस में पड़ा हूं, फिर ये सपने में कैसे आ गई। यहीं तो विडंबना है, की दिल और मन को कहीं आने जाने में देर नहीं लगती।
जब रात में सब सो जाते, चारो तरफ शान्ति ही शांति महसूस होती, और तब उसका फोन आता, मानो दिल को कितना सुकून मिलता है, ये बयान करने के लिए शब्द कम जायेंगे। हाल ए दिल कुछ अजीबोगरीब था, रात को उसके साथ बात करते करते नींद नहीं आती, सोने का दिल नहीं करता था, और सुबह में उठते समय उठने का दिल नहीं करता था।
Thank you