DATE - 04 APR 2023
WRIT(भारतीय संविधान कि आत्मा)
भा(caps)रतीय संविधान का अनुच्छेद 32 मौलपिक अधिकारों के उल्ंघन के खिलाफ संवैधानिक उपचार प्रदान करता है। अनु. 32 सुप्रिम कोर्ट को मौलिक अधिकारों का रक्षक और उत्तरदायित्व बनाता है। इसके अलावा रिट जारी करने की शक्ति सर्वोच्च नियायलय के मुल क्षेत्राधिकार के अन्तर्गत याता है। इसका तात्पर्य यह है कि एक अपील के तरीके के बजाय सीधे उपचार के लिए सुप्रिम कोर्ट से सम्पर्क कर सकता है।
डॉ. बी आर अम्बेदकर ने अनुं 32 को संविधान का ह्रदय और आत्मा कहा था। संवैधानिक उपचार को रिट भी कहा जाता है। रिट का अर्थ आदेश होता है। यह अंग्रेजी कानुन से लिया गया है, जहां उन्हे विशेषाधिकार रिट के नाम से जाना जाता है। रिट जारी करने कि अवधारणा UK से ली गई है। सर्वोच्च न्यायलय अनुं 32 तथा उच्च न्यायलय अनुं - 226 के तहत् रिट जारी कर सकता है।
NOTE:-
1. 1950 से पहले, केवल कलकता , बॉम्बे तथा मद्रास के उच्च न्यायलय को रिट जारी करने कि शक्ति प्राप्त थी।
2. संसद विधि द्वारा किसी भी अन्य अदालतो को रिट जारी करने के लिए सशक्त कर सकती है, लेकिन अब तक इस शक्ति का उपयोग नहीं किया गया है,और केवल सर्वोच्च न्यायलय और उच्च न्यायलय रिट जारी कर सकता है।
WRIT(रिट) पांच प्रकार का होता है-
1. Habeas Corpus(बंदी प्रत्यक्षीकरण)
2. Mandamus(परमादेश)
3. Prohibition(प्रतिषेध)
4. Certiorari(उत्प्रेषण)
5. Qua-Warranto(अधिकार पृच्छा)
1. Habeas Corpus (बंदी प्रत्यक्षीकरण) -
बंदी प्रत्यक्षीकरण अवधारणा का उद्गम इग्लैंड से हुआ है। बंदी प्रत्यक्षीकरण कि अवधारणा सबसे पहले Magnacarta के रूप में एक संवैधानिक दस्तावेज में 15 जुन 1215 को राजा जॉन द्वारा रुनीमेड में अँग्रेजी जमीन मालिको पर जारी कि गई थी।
Purpose of the Issue - सशरीर हाजिर करें।
2. Mandamus(परमादेश) -
परमादेश निचली अदालत/लोक प्राधिकरण को अपने कर्तव्यों के निष्पादन के लिए सर्वोच्च न्यायलय द्वारा जारी किया गया एक आदेश है।
यह तब जारी किया जाता है, जब कोई भी सरकार अदालत यो कोई सार्वजनिक प्राधिकरण सार्वजनिक कर्तव्य करने में विफल रहता है।
यह रिट राष्ट्रपति या राज्यपाल को जारी नहीं किया जा सकता है। परमादेश रिट सबसे पहले 17वी सदी मेें अंग्रेजी अदालतों के द्वारा प्रयोग किया गया था। इसका उपयोग अमेरिकी उपनिवेशों कि अदालतो मे किया जाता थ औ रउस पर कानुन मोटे तौर बने हुए है।
Purpose of the Issue - हम आदेश देते है।
3. Prohibition(प्रतिषेध) -
मना करना या रोकना (Stay Order)। जब कोई बड़ी अदालत जैसे उच्च न्यायलय/सर्वोच्च न्यायलय किसी छोटे अदालत के फैसले पर रोक लगाती है, तो उसे Stay कहा जाता है। किसी विभागिय कारवाई के विरोध मे जब कोई व्यक्ति अदालत जाता है, और अदालत उस कारवाई पर रोक लगा देती है, तो उसे भी Stay कहा जाता है, सरल शब्दों मे कहे तो किसी भी कानुनी कारवाई का सास्ता रोकने को Stay कहते है।
Purpose of the Issue :- किसी विशेष मामलों मे कार्यवाही जारी रखने से एकअधीनस्थ न्यायलय को प्रतिबंधत करना जहां इसकका हल करने का उन्हें कोई अधिकार नहीं है।
4. Certiorari(उत्प्रेषण) -
निचली अदालत, Tribunal या अर्ध न्यायिक प्राधिकरण द्वारा पहसले से पारित आदेश को रद्ध करने हेतु।
Purpose of the Issue - सत्यापित करना।
5. Quo-Warranto (अधिकार पृच्छा) -
आपका अधिकार क्या है? संविधान द्वारा निर्मित कार्योलयों के खिलाफ उसे जारी किया जा सकता है, जैसे - एडवोकेट जनरल, विधान सभा के अधयक्ष, नगर निगम अधिनियम के तहत् वाले अधिकारी, ए कस्थानीय सरकारी निकाय अथवा बोर्ड के सदस्य, विश्वविद्यलयों के अधिकारी एवं शिक्षक।
लेकिन इस निजी स्कुलों की प्रबंध समिती के खिलाफ जारी नहीं किया जा सकता है, क्योंकि उनकी नियुक्ति किसी प्राधिकरण के तहत् नहीं होती है।
Purpose of the Issue - किसी व्यक्ति या सार्वजनिक कार्यालयों को पद रखने से रोकने के लिए जिसका वह हकदार नहीं है।
Thank you