याद आती है, तुम्हारी हर पल, हर लम्हा

श्री अक्षय भट्ट
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P -124
DATE - 31 MAR 2022



याद आती है, तुम्हारी हर पल, हर लम्हा,
क्या तुम्हे पता है, 
दिल धड़कती है, मेरी हर पल, हर लम्हा,
क्या तुम्हे पता है,
धड़कने, तुम्हे ही पुकारती, हर पल, हर लम्हा,
क्या तुम्हे पता है,

तुम तो महान बन गई मां पापा के लिए,
पर तेरा साजन, मर रहा है, हर पल, हर लम्हा,
क्या तुम्हे पता है,
तुम हररोज आती हो, मेरे दिल में, सांस बनकर 
हर पल, हर लम्हा
क्या तुम्हे पता है।

तुम्हे दूर करने की बहुत कोशिश कर रहा हूं,
पर हर पल, हर लम्हा मौत मिल रही है
क्या तुम्हे ये पता है।

आप तो वादा ले चुके हो, की मत रोना मेरे दिल,
पर रूह रो रही है, हर पल, हर लम्हा,
क्या ये पता है तुम्हे।

आप मिली मेरी तो जान, बहार आया, 
हर पल आपसे लिपटिती मेरे सांसों को
करार आया।
दिल लिपटने लगा आपकी धड़कनों से,
और फिर लगा की मेरी ज़िंदगी में मेरा यार आया।।
ऐसे छोड़ जाओगी, हमे इस दुनिया में,
ये सपना भी जोरदार आया,

लिपट कर जितना भी रोए तुमसे, कभी ना इसका करार आया,
टूट के बिखर गया कब, ये जरा भी न इकरार आया,
आपकी यादों में आंख नम होती है, 
हर पल हर लम्हा,
क्या तुम्हे ये पता है।


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