स्थिरवैद्युतकी क्या है?

श्री अक्षय भट्ट
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P - 271
DATE - 13 OCT 23

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स्थिरवैद्युतकी (स्थिर आवेश) क्या है।

भौ(caps)तिकी विज्ञान कि वह शाखा जिसमें स्थिर आवेश का अध्ययन किया जाता है, उसे स्थिरवैद्युतकी कहा जाता है। जो आवेश के विद्युतीकरण से उत्पन्न से उत्पन्न होता है। आवेश का परिभाषा देना उत्तना ही कठीन है, जितना द्रव्यमान, लंबाई और समय का। आवेश एक प्रकार का मूल कण है जो विद्युत और चुंबकिय दोनों प्रकार के क्षेत्र उत्पन्न करते है। गतिशील आवेश विद्युत धारा के स्रोत है। वास्तव में, गतिशील इलेंक्ट्रॉन ही विद्युत धारा उत्पन्न करता है। यह विद्युत और चुंबकीय दोनों प्रकार के क्षेत्र उत्पन्न करता है। स्थिर आवेश हमेशा केवल विद्युत क्षेत्र बनाता है। 

आवेश का मात्रक कूलंब(Coulomb) होता है। इसका गणितीय विवेचन इस प्रकार है-


विद्युत धारा(I) = विद्युत आवेश(Q)/समय(T)

I = Q/T

or, Q = IT

1 Coulomb = 1 Ampere x 1 Second

इसके अतिरिक्त दो और मात्रक प्रचलित है-

(a)    Electrostatics Unit(E.S.U) - "Stat Coulomb"

(b)    Electromagnetic Unit(E.M.U - "ab Coulomb"


1 Coulomb = 3 x 10 9 Stat Coulomb = 1/10 ab Coulomb


विमा - 


आवेश का  विमा [ IT ] होता है।

सबसे न्युनतम आवेश इलेक्ट्रॉन कि होती है, जो इस प्रकार से है-

इलेक्ट्रॉन का आवेश :       - 1.6 X 10 -19 Coulomb

                                 - 1.6 x 10 -20  ab Coulomb

                                 - 4.8 x 10 -10 Stat Coulomb 


इलेक्ट्रॉन का स्थानांतरण -

किसी भी पिण्ड को इलेक्ट्रॉन स्थानांतरण से आवेशित किया जाता है, यदि कोई पिण्ड इलेक्ट्रॉन खोता है, तो वह धनात्मक आवेशित हो जाता है और उसे द्रव्यमान में कमी हो जाती है। इसके विपरीत इलेक्ट्रॉन लेता है, अर्थात् यदि कोई पिण्ड इलेक्ट्रॉन ग्रहण करता है, तो वह ऋण आवेश से आवेशित हो जाता है, और उसका द्रव्यमान बढ़ जाता है। 

Quantisation of Charge -

जब भी किसी पिण्ड को आवेशित किया जाता है, या उसको इलेक्ट्रॉन दिया जाता है, तो उस पर स्थित आवेश इलेक्ट्रॉन के आवेश का पूर्ण गुणज होता है। यह कभी भिन्न में नहीं होता है। गणितीय रूप से,

Q = ± ne

Where,

Q - Charge of Electron

n - Numbers of Electron

e - 1.6 X 10 -19 C


Note - आवेश पर वेग का कोई प्रभाव कोई प्रभाव नहीं पड़ता है, यह ऊर्जा और संवेग के समान आवेश संरक्षण सिद्धांत का पालन करता है। 

आवेशों के बिच लगने वाला बल-

अविष्कारक - कूलंब
वर्ष - 1785 ईं
प्रकृति -  इसे कूलंब बल के नाम से भी जाना जाता है। यह सिर्फ स्थिर आवेशों के बीच कार्य करता है। यह एक ऐसा मजबूत बल है, जिसमें आकर्षण और विकर्षण दोनों गुण रखता है। यह किसी भी इलेक्ट्रॉन को नाभिक के चारों तरफ घुमने के लिए आवश्यक अभिकेंद्र बल प्रदान करता है। यह क्रिया और प्रतिक्रिया बल है, जो न्युटॉन के तिसरे नियम का पालन करता है। यह एक संरक्षित बल है।

कूलॉम का नियम -


कूलॉम का प्रथम नियम - 

समान आवेशों के बिच विकर्षण और असमान आवेशो के बिच आकर्षण बल कार्य करता है। 

कूलॉम का दूसरा नियम - 


दो आवेशों के बिच लगने वाला आकर्षण या विकर्षण बल उसके आवेशों के गुणनफल के समानुपाती और उनके बीच के दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है। यह बल दोनों आवेशों को मिलाने वाली रेखा के बिच लगता है। 

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