नाभिकीय रिएक्टर से आप क्या समझते हैं?

श्री अक्षय भट्ट
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P - 303
DATE - 29 OCT 23

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नाभिकीय रिएक्टर 


नाभिकीय रिएक्टर से आप क्या समझते हैं? 

य(caps)ह एक ऐसी उपकरण है, जिसमें नाभिकीय ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदला जाता है। यह नियंत्रित नाभिकीय विखण्डन सिद्धांत पर कार्य करता है। इस प्रकार के प्रक्रिया में एक भारी नाभिक पर न्युट्रॉन कि बमबारी कि जाती है, जिसमें एक भारी नाभिक दो हल्के नाभिकों में टुट जाता है, और अत्यधिक मात्रा में ऊर्जा कि उत्पति होती है, यह प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है, जब तक कि सारे के सारे नाभिक समाप्त नहीं हो जाते। लेकिन कैडमियम के छड़ के माध्यम न्युट्रॉन के मात्रा को अवशोषित करके प्रक्रिया को नियंत्रित किया जाता है। और इस प्रकार कि प्रक्रम को नियंत्रित नाभिकीय विखण्डन कहा जाता है। इसका अविष्कार 1941 ई. में एनरिकों फर्मी ने किया था। 

नाभिकीय रिएक्टर के पांच भाग है, जिसका विस्तृत वर्णन इस प्रकार से है-

1.    ईंधन 

नाभिकीय रिएक्टर में ईंधन के रूप मेंं युरेनियम - 235 और प्लुटोनियम- 239 का प्रयोग किया जाता है। 

2.    नियंत्रक 

इसमें कैडमियम कि छड़ का प्रयोग नियंत्रक के रूप में प्रयोग किया जाता है, जो न्युट्रॉन को अवशोषित कर लेता है, प्रक्रिया नियंत्रित हो जाती है। 

3.    मंदक

मंदक का प्रयोग  नाभिकिय रिएक्टर में न्युट्रॉनों के वेग को कम करने के लिए होता है। व्यवहार मे लाये जाने वाले मंदक ग्रेफाइट, भारी जल, बेरेलियम कि छड़ आदि है।

4.    शीतलक

जब नाभिकीय विखण्डन कि प्रक्रिया शुरू हो जाती है, तो अधिक मात्रा में ऊष्मा कि उत्पति होती है। उस दौरान उपकरण को ठण्डा रखने के लिए शीतलक को प्रयोग में लाया जाता है। शीतलक के रूप में हवा, जल, कॉर्बन डाई ऑक्साइड का प्रयोग किया जाता है।

5.    परिरक्षक

नाभिकीय रिएक्टर के चारों तरफ काम करने वाले लोगो को खतरनाक रेडिएशन से बचाने के लिए रिएक्टर के चारों तरफ सिमेंट कि मोटी मोटी दीवार खड़ी कर दी जाती है, जिसे परिरक्षक कहा जाता है। 

कार्यविधी

जब रिएक्टर को शुरू किया जाता है, तो ईंधन पर न्युंट्रॉन  प्रहार किया जाता है। इसके बाद कैडमियम कि छड़ को बाहर खिंचा जाता है, जिससे न्युट्रॉन तेजी से अन्दर जाकर  मंदक पर टकराते है, जो इसकी गति को कम कर देता है। 
रिएक्टर में नियंत्रित नाभिकीय विखण्डन अभिक्रिया कि शुरूआत होती है। उत्सर्जित ऊष्मा स्थित जल को गर्म कर वाष्प बनाता है। यह वाष्प टरबाइन को घुमाता है, जिससे बाहरी परिपथ में धारा प्राप्त होने लगती है। 

उपयोग

नाभिकीय रिएक्टर का उपयोग कृषि, चिकित्सा और अर्द्ध आयु ज्ञात करने के लिए किया जाता है। इससे बिजली उत्पन्न कि जाती है। 

भारत का पहला रिएक्टर 1957 ई. में BARC निर्मित हुआ था, इसमें 235 मेगावाट बिजली पैदा होती है। अभी तक भारत में करीब करीब दस नाभिकीय रिएक्टर बनाए जा चुके है। जिसमें पूर्णिमा, ध्रुवा, जेरलिका आदि। नए न्युक्लिर डील के अनुसार आने वाले दिनों में प्रत्येक राज्य में एक न्युक्लिर रिएक्टर होगा, जिससे बिजली कि समस्या कुछ हद तक दूर कि जा सकती है। शायद यह एक सपना भी हो सकता है।  


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